गुल्ली डंडा खेल के भी है नियम

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हर गली मोहल्ला में बच्चे लकड़ी से यानि गुल्ली डंडा खेल हुए नजर आते हैं। गुल्ली डंडा बचपन की भी याद दिलाता है। गिल्ली या गुल्ली डंडा पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध खेल है। इसे सामान्यत: एक बेलनाकार लकड़ी से खेला जाता है जिसकी लंबाई बेसबॉल या क्रिकेट के बल्ले के बराबर होती है। गुल्ली डंडा खेल के अपने नियम भी है।
खेल के नियम भी आसान है
परंपरागत गुल्ली डंडा खेल के भी नियम है। हाालांकि खेल के नियम भी बिल्कुल आसान है। खेल की शुरूआत करने से पहले भूमि पर एक दो इंच गहरा और चार इंच लंबा गडढ़ा खोदा जाता है, खिलाड़ी उस गडढ़े पर गिल्ली को टिका कर तेजी से डंडे के द्वारा दूर फेंकता है, और दूसरे खिलाड़ी उसे लपकने के लिए तैयार रहते हैं।
गुल्ली लपक ली तो खिलाड़ी आउट
खेलते समय अगर गुल्ली लपक ली तो वो खिलाड़ी आउट हो जाता है और यदि गिल्ली भूमि पर गिर जाती है तो गुल्ली उठा कर डंडे को मारा जाता है। फिर डंडे को उस गड्ढ़े पर उस खिलाड़ी द्वारा रख दिया जाता है, अब दूसरी टीम को डंडे को निशाना बनाकर मारा जाता है यदि गुल्ली को गड्ढ़े पर रखे डंडे पर निशाना साध दिया तो भी खिलाड़ी आउट हो जाता है और अगर नहीं तो अब वह खिलाड़ी अपना डंडा लेकर गिल्ली के एक सिरे को डंडे से मारता जाता है और गिल्ली हवा में उठते ही डंडे की सहायता से दूर से दूर भेजी जाती है। जिसकी गिल्ली जितनी दूर जाती है, वही खेल में जीत जाता है।
नहीं खेल पर कोई खर्च
समय के साथ-साथ यह खेल लगभग लुप्त होने के कगार पर आ गया है। इस खेल की सबसे बड़ी खास बात ये है कि इसमें खेल सामग्री के नाम पर कुछ भी खर्चे वाली बात नहीं है, बस इसमें केवल एक दो या तीन फीट लकड़ी का डंडा और एक गुल्ली जिसके दोनों किनारों को नुकीला कर दिया जाता है, जिससे उस पर डंडे से मारने पर गुल्ली उछल पड़े। यानि इस खेल पर खर्च कुछ भी नहीं है।
गुल्ली और डंडा
खेल के नियमउस दूरी से गड्ढ़े की दूरी को डंडे द्वारा मापा जाता है और उतने ही अंक उस टीम को मिलती है। इस प्रकार से ये खेल खेला जाता है और हारने वाली टीम को शर्त के अनुसार मुक्के या धौल जमाये जाते हैं। यह खेल प्रति व्यक्ति या टीम के आथ खेला जाता है। इसमे कोई भी हार पराजय की भावना नहीं होती है बिल्कुल ही खेल भावना के खेला जाने वाला ये खेल आज लगभग लुप्त हो रहा है।