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सिरसा में गौ महिमा का दिव्य प्रवाह: श्री धेनू मानस कथा के दूसरे दिवस पर बही भक्तिभाव की गंगा

 
Divine flow of cow glory in Sirsa: Ganga of devotion flowed on the second day of Shri Dhenu Manas Katha
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 Divine flow of cow glory in Sirsa: Ganga of devotion flowed on the second day of Shri Dhenu Manas Katha
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा मेंं श्री हरिराम गौशाला, बुर्जभंगु सिरसा में श्री धेनू मानस कथा के दूसरे दिवस पर भक्तों के उत्साह और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा स्थल पर भक्तों का अपार जनसैलाब उमड़ पड़ा, जो गौ माता के दिव्य संदेश को आत्मसात करने के लिए एकत्रित हुआ था। गौ ऋषि स्वामी राजेन्द्रानंद महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी से गौ महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया, जिससे स पूर्ण वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया।


स्वामी जी ने कथा के दौरान बताया कि गौ माता केवल एक पशु नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि गौ माता के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है और जो व्यक्ति गौ सेवा करता है, वह समस्त देवी-देवताओं की कृपा का पात्र बनता है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण और अन्य धर्मग्रंथों का उल्लेख करते हुए बताया कि गौ माता की सेवा करने से मनुष्य जीवन में सुख.शांति और समृद्धि का वास होता है। भगवान श्रीकृष्ण के गोकुलवास और गौचारण प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण ने गौ माता को स्नेह और सेवा का सर्वोच्च स्थान प्रदान किया।
गौ दुग्ध, गौमूत्र और पंचगव्य का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक लाभ:
कथा में गौ दुग्ध, गौमूत्र और पंचगव्य के वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक लाभों पर भी प्रकाश डाला गया। स्वामी जी ने बताया कि गौ दुग्ध अमृत के समान है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक बल भी प्रदान करता है। गौमूत्र और पंचगव्य का प्रयोग प्राचीन काल से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है, जिससे कई असाध्य रोगों का निदान संभव है। उन्होंने बताया कि यदि गौमूत्र और पंचगव्य का नियमित सेवन किया जाए, तो यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और मानसिक शुद्धता लाता है।


गौ रक्षा का संकल्प और गौ संरक्षण का संदेश:
दूसरे दिन की कथा में स्वामी जी ने गौ रक्षा पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि आज के युग में गौ माता के संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जिस समाज में गौ माता का स मान होता है, वहां पर सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक चेतना का वास होता है। स्वामी जी ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में गौ सेवा को अपनाएं, गौशालाओं की रक्षा करें और गौ माता के संरक्षण हेतु अपना योगदान दें। उन्होंने यह भी कहा कि गौ रक्षा केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवता का परम धर्म है।

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संगीतमय भजन संध्या और आरती में उमड़ा भक्ति भाव:
कथा के अंत में भक्तों के लिए संगीतमय भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें गौ महिमा के भजनों ने सभी को भावविभोर कर दिया। श्रद्धालुओं ने स्वामी जी के प्रवचनों को सुनकर स्वयं को धन्य महसूस किया और गौ माता की आरती में स िमलित होकर दिव्य आनंद की अनुभूति प्राप्त की। आगामी कथा दिवस में स्वामी राजेन्द्रानंद महाराज गौ माता के आध्यात्मिक रहस्यों, गौशालाओं के महत्व और भारतीय संस्कृति में गौ आधारित जीवनशैली पर गहन प्रकाश डालेंगे। कथा का सीधा प्रसारण श्री हरि टीवी और सोशल मीडिया प्लेटफॉ र्स पर उपलब्ध है, जिससे दूरस्थ भक्तजन भी इस दिव्य कथा का लाभ ले सकते हैं।