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यज्ञ से हुआ सिरसा जिले की फूलकां गौशाला में 7 दिवसीय मत्स्य महापुराण का समापन

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The 7-day long Matsya Mahapuran concluded with a yagya at the Phulakan Gaushala in Sirsa district
mahendra india news, new delhi

इन्सान आज के स्वार्थवादी युग में इतनी खुदगर्ज हो गया है कि जिस भगवान ने उसे यह कंचन जैसा तन दिया उसको भी बिसार देता है। जिस तन दिया ताही बिसरायो यानि सृष्टि के निर्माता को ही इन्सान ने बिसार दिया है। धर्मों का यह सार है कि जब जीव भगवान को भूले, समझो वही सबसे बड़ी विपत्ति है। जब सुमिरन न हो, भजन न हो, तो यह समय धर्मों के अनुसार व्यर्थ है। यह उद्गार स्वामी नित्यानंद गिरी महाराज ने बुधवार को फूलकां गौशाला में चल रही मत्स्य महापुराण कथा के अंतिम दिन साधकों को अमृतवाणी से निहाल करते हुए फरमाए। इससे पहले सुबह गौशाला में हवन यज्ञ हुआ, जिसमें बड़ी सं या में ग्रामीणों खासकर महिलाओं ने आहुति डाली। कथा दौरान स्वामी नित्यानंद ने फूलकां गौशाला में सराहनीय सेवाएं देने के लिए पशु चिकित्सक डा. अंजू बाला, वीएलडी रविंद्र सिंह सहित पूरी चिकित्सक टीम, दर्जनों गौसेवकों व गौशाला कमेटी सदस्यों को सम्मानित किया।  


मत्स्य महापुराण के अंतिम चरण की व्या या करते हुए नित्यानंद गिरी ने कहा कि आज इन्सान सिर्फ खुद तक सिमट कर रहा गया है। उसको दूसरों से तो हमेशा सहयोग की लालसा रहती है, लेकिन खुद किसी के कभी काम नहीं आता। ऐसे लोगों को दुनिया में नमक हराम की संज्ञा दी जाती है। इसलिए जीवन में हमेशा दूसरों की भलाई का प्रयास करो, यही जीवन का असल सत्य है। यदि दूसरों के काम आओगे तो सृष्टि का रचियता भी आपकी भावना से प्रसन्न होगा, क्योंकि परोपकार की भावना यदि इन्सान में आ जाती है तो वह कभी किसी का घात, किसी का नुकसान नहीं कर सकता। नित्यानंद महाराज ने कथा के अंतिम पहुंची सैकड़ों माता-बहनों व भाइयों को गौसेवा करने का संकल्प करवाते हुए कहा कि दिन में एक घंटा गौसेवा के लिए अवश्य निश्चित करें, ताकि आपके जीवन में आने वाले कष्टों का समय से पहले ही नाश हो जाए।

गौशाला में दान करते हैं पेंशन का कुछ अंश
कथा दौरान स्वामी नित्यानंद ने गौसेवा का आह्वान करते हुए युवाओं को इस ओर प्रेरित किया। वहीं गौसेवा में पेंशन का कुछ अंश दान करने वाले फूलकां निवासी अमीलाल नायक, अमीलाल छि पा व काशी राम छि पा की प्रशंसा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि हर इन्सान का दायित्व बनता है कि वह गौसेवा के लिए कदम बढ़ाए। बुजुर्ग महिलाओं को भी अपनी पेंशन का कुछ हिस्सा गौसेवा में लगाना चाहिए, ताकि उम्र के अंतिम पड़ाव में भी वे परमार्थी कार्य से अछूत न रहें।

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