भारत में प्री-मानसून बरसात तेज, अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा तूफानी मौसम

 
Pre-monsoon rain intensifies in India, stormy weather will continue for the next few days
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 Pre-monsoon rain intensifies in India, stormy weather will continue for the next few days
mahendra india news, new delhi

मौसम में पिछले कुछ दिनों से बदलाव देखने को मिल रहा है। एक मार्च  से अप्रैल एक तक दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में प्री-मानसून बरसात में 29 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान तमिलनाडु, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप में 'बहुत अधिकÓ श्रेणी में बरसात हुई है। वहीं, तटीय कर्नाटक और उत्तर आंतरिक कर्नाटक में 'अधिकÓ श्रेणी की बरसात दर्ज की गई है।

देश के अन्य हिस्सों में बरसात की भारी कमी
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आपको बता दें कि दक्षिण भारत में अच्छी बरसात के बावजूद, देश के अन्य हिस्सों में बारिश की भारी कमी बनी हुई है। पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में 42त्न की वर्षा की कमी दर्ज की गई है, जबकि मध्य भारत में 40 फीसद बरसाता की कमी देखी गई है। इससे गर्मी का असर बढ़ रहा है और कृषि पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
अगले कुछ दिनों में मौसम का पूर्वानुमान
बुधवार यानि 2 अप्रैल को कोकेरल और तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बरसात के साथ कुछ स्थानों र भारी बरसात की संभावना है। 3 अप्रैल कौ बरसात की तीव्रता बढ़ेगी, और तेलंगाना, कर्नाटक में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। गरज-चमक और तेज़ हवाओं के साथ आंधी भी चल सकती है। 5 अप्रैल केको बरसात की तीव्रता धीरे-धीरे कम होने लगेगी, लेकिन तमिलनाडु, दक्षिण कर्नाटक, केरल और रायलसीमा में अगले एक हफ्ते तक बौछारें और गरज-चमक जारी रहेंगी।

बारिश से लाभ: तापमान नियंत्रण और कृषि को मदद

इस बारिश से तापमान नियंत्रण में रहेगा और दक्षिण भारत के कई इलाकों में मौसम सुहावना बना रहेगा। इसके अलावा, मिट्टी में नमी बढ़ने से खेती के लिए यह बारिश बेहद फायदेमंद साबित होगी। खासकर खरीफ सीजन की फसल के लिए यह बारिश जल स्रोतों को पुनर्भरण करने में मदद करेगी, जिससे कृषि गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

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संभावित जोखिम: जलभराव और व्यवधान

हालांकि यह बारिश अधिकांश क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगी, लेकिन तेज़ बारिश के कारण स्थानीय जलभराव और कुछ स्थानों पर यातायात प्रभावित हो सकता है। फिर भी, कुल मिलाकर इस बारिश का सकारात्मक प्रभाव अधिक रहेगा, क्योंकि यह जल संसाधनों और कृषि गतिविधियों के लिए मददगार साबित होगी।

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