कई जगहें फटा बादल, भूस्खलन और ओलावृष्टि, अगले 48 घंटे अलर्ट

मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। शुक्रवार को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान में तेज आंधी के बाद आलोवृष्टि हुई। इसके साथ ही कई जगह पर बरसात हुई। आपको बता दें कि सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में पहुंचा था। इसके 24 घंटे के भीतर मैदानों में एक प्रेरित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र (इंड्यूस्ड सर्कुलेशन) बन गया। इन दोनों मौसम प्रणालियों के संयुक्त असर से पहाड़ी प्रदेशों में बीते दो दिन से लगातार गरज-चमक के साथ मध्यम से भारी बारिश हुई है। वहीं, कुछ इलाकों में ओलावृष्टि और बादल फटने (क्लाउडबर्स्ट) की घटनाओं भी हुई। इससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और संचार और यातायात सेवाएं भी बाधित हो गईं है।
उत्तराखंड में सबसे अधिक असर
आपको बता दें कि हिमालयी प्रदेशों में से उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति ज्यादा संवेदनशील और नाज़ुक है, इसलिए यहां पर खराब मौसम का प्रभाव और अधिक गंभीर रहता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में भारी बरसात के कारण फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) और भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की घटनाएं देखने को मिली। इसी के साथ ही सड़कों पर मलबा आने से गाड़ियां दब गए और राजमार्ग अवरुद्ध हो गए। नंदप्रयाग के पास बादल फटने की घटना ने हालात और बिगाड़ दिए। बद्रीनाथ नेशनल हाईवे भी मलबे के कारण बंद कर दिया गया। राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं और बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की टीमें लगातार काम कर रही हैं ताकि सड़कों को फिर से खोला जा सके और संपर्क बहाल किया जा सके।
अगले 48 घंटे और अधिक संवेदनशील
मोसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह पश्चिमी विक्षोभ अभी अगले 48 घंटों तक सक्रिय रहेगा और विशेष रूप से उत्तराखंड को प्रभावित करता रहेगा। गढ़वाल क्षेत्र में कुमाऊं की तुलना में ज्यादा गंभीर असर देखने को मिल सकता है। गढ़वाल मंडल के चमोली, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में आज और कल शाम व रात के दौरान मौसम की गतिविधियाँ तेज और व्यापक रहेंगी। बादल फटना, बिजली गिरना और ओलावृष्टि जैसी घटनाएं दोबारा होने की उम्मीद बनी हुई है। यह जरूरी है कि मौसम बेहतर होने के बाद भी सतर्कता बरती जाए क्योंकि पानी के स्रोतों और कमजोर ढलानों का असर देर से नजर आता है, जिससे अचानक आपदा की उम्मीद बनी रहती है।