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श्रीरामदेव जी की कथा : आत्मनिर्भर बनने और सम्मान के साथ जीने के लिए प्रेरित किया रामदेवजी ने: गोबिंद कांडा

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सिरसा में चतरगढ़पट्टी में श्रीरामदेव जी की कथा का आयोजन

mahendra india news, new delhi

सिरसा के विधायक, पूर्व गृहराज्यमंत्री एवं हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा के अनुज वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने कहा कि  श्री रामदेवजी ने तत्कालीन समाज में व्याप्त छूआछूत, जात-पांत का भेदभाव दूर करने तथा नारी व दलित उत्थान के लिए प्रयास किये। आत्मनिर्भर बनने और सम्मान के साथ जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पाखण्ड व आडम्बर का विरोध किया। उन्होंने सगुन-निर्गुण, अद्वैत, वेदांत, भक्ति, ज्ञान योग, कर्मयोग जैसे विषयों की सहज व सरल व्याख्या की। आज भी बाबा की वाणी को हरजस के रूप में गाया जाता है।  

 

 

कांडा बुधवार को सिरसा के वार्ड नंबर एक चतरगढ़पट्टी में भुजिया फैक्टरी के समीप श्री द्वारकाधीश सेवा समिति की ओर से वार्ड नंबर एक चतरगढ़पट्टी में आयोजित श्रीरामदेव जी की कथा में मौजूद श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। कथा स्थल पर पहुंचने पर भाजपा नेता गोबिंद कांडा और उनके साथ आए इंद्रोश लक्ष्या गुज्जर, नरेंद्र कटारिया, पूर्व पार्षद रोहताश वर्मा,  विधायक के पीए हरिप्रकाश शर्मा, लक्ष्मण गुज्जर, विजय यादव का पूर्व पार्षद राजू, संचालक नेहा, रामकुमार,  राजबाला, मोमनलाल सैनी, मोहनलाल सैनी, सुनील बागड़ी, गीता सैनी जय प्रकाश, भूपेंद्र, बीना रानी, रामदास बजाज आदि ने उनका स्वागत किया।

बीजेपी नेता गोबिंद कांडा ने कहा कि  हिन्दू रामदेव जी (बाबा रामदेव, रामसा पीर, रामदेव पीर,पीरो के पीर) का जन्म ऊंडु काशमीर (बाड़मेर)के एक राजपूत परिवार में हुआ,  ये अजमालजी तंवर की संतान थे। रामदेवजी की माता का नाम मैणादे था। राव मल्लीनाथ (मारवाड़ के राठौड़ राजा) ने रामदेव जी को पोकरण की जागीर प्रदान की थी, हरजी भाटी इनके प्रमुख सहयोगी थे। डाली बाई इनकी अनन्य मेघवाल भक्त थी। रामदेव जी ने कामडिय़ा पंथ की स्थापना की। 

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रामदेव जी छुआछूत व भेदभाव मिटाने वाले देवता माने जाते हैं। ये राजस्थान के एक प्रसिद्ध लोक देवता हैं जिनकी पूजा पूरे देश मेेंं खासकर संपूर्ण राजस्थान व गुजरात समेत कई भारतीय राज्यों में की जाती है।  बाबा रामदेवजी मुस्लिमों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें रामसा पीर या रामशाह पीर के नाम से पूजते हैं।


 उन्होंने कहा कि रामदेव जी सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास करते थे, चाहे वह उच्च या निम्न हो, अमीर या गरीब हो। उन्होंने दलितों को उनकी इच्छानुसार फल देकर उनकी मदद की। कथावाचक महेंद्र महाराज ने उनके श्री रामदेव जी के चमत्कारों का वर्णन किया।  आयोजकों ने गोबिंद कांडा को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।