सिरसा जिले का ये गांव तीन नामों से जाना जाता है, 200 साल पुराना है गांव का इतिहास
This village of Sirsa district is known by three names, the history of the village is 200 years old

सिरसा जिले का गांव जोड़कियां (जोड़ियां)अपने आप में करीब 200 वर्ष पूराना इतिहास समेटे हुए है। करीब 2000 की आबादी वाले इस छोटे से गांव का रक्बा 2500 बीघा है। व करीब 1050 मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनकर देश की प्रजातान्त्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं। गांव में पेयजल,खेल सुविधा, शिक्षा, बिजली के लटकते तार, बस सेवा, स्वास्थ्य सेवाएं,बिजली आपूर्ति, जैसी आवश्यक सेवाएं बेहद लचर हैं। इन समस्याओं के साथ ही 200 वर्ष बाद भी गांव के लोगों को गांव के नाम को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव को सरकारी रिकार्ड व बोलते नाम के आधार पर तीन नामों से पुकारा जाता है जोड़कियां,जोड़ियां व जोड़ावाली। गांव के नाम के कारण डाक सुविधा में भी हमेशा गड़बड़ होती रहती है। विकास कार्यो के मामले गांव अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। गांव में माहौल शान्तिपूर्वक व सौहार्दपूर्ण है।
गांव का इतिहास व सामाजिक ताना बाना
गांव के गोपालपुरी डेरे में बैठे बुजर्गों से गांव के इतिहास व समस्याओं पर बात की तो गांव के सन्तलाल, रामेश्वर,सुल्तान सिहं, मोहन लाल, रामस्वरूप, देवतराम, अनिल हुड्डा, रामकुमार, मनीराम, हरि सिंह, सोहन लाल ने बताया कि राजस्थान की सीमा से सटा होने के कारण राजस्थानी व बागड़ी भाषा बोली जाती है। बुजर्गों ने बताया कि इस गांव का रक्बा पहले निकट के गांव रूपावास का हिस्सा था। रूपावास से यहां पर खेती करने के लिए आना पड़ता था, आवागमन के साधनों की कमी के कारण यहां पर जिनकी जमीन थी उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती थी, यहां पर पीने के पानी की जोहड़ियां बनी हुई थी, तो इस जगह को जोहड़ी वाली जगह के नाम से पुकारा जाता था, रूपावास से हुड्डा, चुरनियां व ढाका ग्रौत्र के लोग जिनकी जमीन यहां थी उन्होनें यहीं बसने का मन बना लिया व गांव को जोड़ावाली के नाम से पुकारा जाने लगा। इसके बाद बाद में धाीरे धीरे जोड़कियां व सरकारी रिकार्ड में जोड़ियां नाम पुकारा जाने लगा। बाद में यहां पर भाकर,बैनीवाल,डूडी,कस्वां,खालिया,मोगा,देहड़ू,कुम्हार ग्रौत्र के लोग आकर बस गए। । गांव की अधिकतर आबादी जाट है। तथा सभी लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं।
गांव का पहला सरंपंच
गांव में पहला संरपंच कुताना व जोड़कियां की सयुंक्त ग्राम पचांयत राजेराम बैनीवाल को बनाया गया । उसके बाद जोड़कियां की अलग ग्राम पंचायत का गठन हाने के बाद जगमाल चूरनियां को बनाया गया। उसे बाद हसराम,नत्थू राम,सरोज डूडी,दलबीर,ख्यालीराम,प्रभु राम,लिछमा देवी(सर्व सम्मति) ने गांव की कमान संभालते हुए विकास कार्य करवाए व वर्तमान में गांव का पढा लिखा युवा सरपंच राकेश कुमार देहडू गांव में विकास कार्य करवाने में जुटा है। गांव से कर्नल मेहर चंद रिटायर्ड फौज में कार्यरत होकर देश सेवा की है।
धार्मिक ऐतिहासिक धरोहर
गांव में अति बहुत ही प्राचीन हनुमान मन्दिर,रामदेव जी का रामदेवरा, जाहरवीर गोगाजी की गोगामेड़ी,माताजी का मन्दिर बना हुआ है। जिनमें सभी गांव के लोग पूरी आस्था से पूजा अर्चना करते हैं। गांव में बाबा गोपालपुरी का डेरा व भगवान शिव का मन्दिर बना हुआ है, जिसके प्रति लोगों की अटूट आस्था है। सिद्ध बाबा गोपालपुरी 12 वर्ष तकयहीं तपस्या की थी, यहां पर बाबा गोपाल पूरी का धूणा है, जहां पर अखंड Óयोत जलती रहती है। व डेरे में हर वर्ष बाबा के निर्वाण दिवस पर जागरण व भंडारा आयोजित किया जाने लगा। तथा शुक्ल पक्ष के मंगलवार को भी गांव के लोग पूरी आस्था के साथ यहां पूजा अर्चना करते हैं। वर्तमान में डेरे में भूप सिंह महाराज मन्दिर व आश्रम में पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि यहां स"ो मन से धोक लगाने से मनोकामना पूरी होती है। गांव में प्राचीन चार जोहड़, एक कुआं व पीपल के पूराने पेड़ गांव की शोभा बढाते हैं।