Former Deputy Prime Minister Chaudhary Devi Lal: मुझे तो ताऊ ही रहने दो, कह कर प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ी
mahendra india news, new delhi
देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का 25 सितंबर को जन्मदिवस है। उनके जन्मदिवस पर जेजेपी द्वारा सीकर में रैली आयोजित कर रही है। वही इनेलो कैथल के अंदर रैली कर रही है। आज पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के जीवन से जुड़ी रोचक जानकारी आज आपके साथ सांझा कर रहे हैं।
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल Former Deputy Prime Minister Chaudhary Devi Lal का 25 सितंबर 1914 को हरियाणा के सिरसा जिले के तेजा खेड़ा गांव में जन्म हुआ था, उनके पिता एक संपन्न किसान थे।
तााऊ चौधरी देवी लाल उन कुछ चुनिंदा राजनीतिज्ञों में से थे जो आजादी के बाद तथा आजादी के पहले दोनों ही समय में भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे थे। देश की आजादी के बाद जब प्रथम बार चुनाव हुए तब हरियाणा पंजाब प्रदेश का हिस्सा था और वहां हुए विधानसभा चुनावों में चौधरी देवीलाल चौटाला पहली बार सन 1952 में ही कांग्रेस की तरफ से विधायक बने। इसके बाद 1957 तथा 62 में भी पंजाब विधानसभा के सदस्य रहे।
1971 में छोड़ दी कांग्रेस
आपको बता दें कि भारत की आजादी के बाद ही वे किसानों के नेता बन गए और उनके मुद्दों के लगातार उठाते रहे। पंजाब विधानसभा 1962-67 में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने हिंदी भाषी हरियाणा प्रदेश को पंजाब प्रदेश से अलग प्रदेश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी दौरान कांग्रेस से वैचारिक मतभेद के चलते 1971 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
हरियाणा में हुए थे लोकप्रिय
आपको बता दें कि इमरजेंसी के दौरान उन्हें इंदिरा गांधी का विरोध करने के कारण जेल जाना पड़ा था। इसके बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गए और जीतने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, लेकिन पार्टी में आंतरिक असंतोष के चलते 1979 में इस्तीफा देकर इन्होंने लोकदल नामक अपनी पार्टी बना ली। इस दौरान वह किसानों व गरीबों की लड़ाई लड़ते रहे और हरियाणा में किसानों के बड़े नेता के तौर पर उभरे। इसके बाद धीरे-धीरे हरियाणा में उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि 1987 के चुनाव में देवीलाल की पार्टी को हरियाणा की 90 में से 85 सीटें जीत मिलीं और वह दूसरी बार हरियाणा के सीएम बने।
प्रधानमंत्री की कुर्सी से ज्यादा कीमत थी ताऊ की जुबान की
Former Deputy Prime Minister Chaudhary Devi Lalको आज भी ऐसे राजनेता के तौर पर याद किया जाता है। उन्होंने कुर्सी से अधिक अपने सिद्धांतों को महत्व दिया। इसी क्रम में एक किस्सा याद किया जाता है जब उनके संसदीय दल का नेता चुने जाने पर सभी सहमत थे, लेकिन उन्होंने वीपी सिंह को समर्थन देकर संसदीय दल का नेता बनाया था।
बता देें कि उस समय वह पीएम की कुर्सी के बेहद करीब थे, लेकिन सबको धन्यवाद करने के लिए वह खड़े हुए और बोले कि मैं सबसे बुजुर्ग हूं, मुझे सब ताऊ बुलाते हैं मुझे ताऊ बने रहना ही पसंद है और मैं ये पद विश्वनाथ प्रताप सिंह को सौंपता हूं। इसके बाद वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। Former Deputy Prime Minister Chaudhary Devi Lal इस दौरान 19 अक्टूबर 1989 से 21 जून 1991 तक देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे।