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मानसून की बरसात को लेकर बड़ा अपडेट : केरल में मानसून की रफ्तार क्यो हो रही धीमी

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मानसून की बरसात को लेकर बड़ा अपडेट : केरल में मानसून की रफ्तार क्यो हो रही धीमी

mahendra india news, new delhi

मानसून की बरसात को लेकर सभी इंतजार कर रहे हैं। मानसून की अच्छी बरसात होने से गर्मी का असर कम होगा। इसी के साथ किसान धान की रोपाई आसानी से कर सकेंगे। मानसून की बरसात को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। 

जानकारी के लिए बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 30 मई को भारत के प्रवेश बिंदु केरल में दस्तक दी थी। मानसून पहुंचने के लगभग 48-72 घंटों तक केरल में अच्छी बरसात हुई थी। लेकिन, बाद में मानसून की बारिश कम हो गई। केरल में जून के पहले सप्ताह में बारिश की कमी 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है। एक या दो को छोड़कर लगभग सभी जिलों में कम बारिश दर्ज की गई है, इसमें केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (82 फीसद) भी शामिल है।

मानसून कमजोर होने के कारण:
 दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान केरल सबसे अधिक वर्षा वाले राज्यों में से एक है। जून महीने में औसतन 648.3 मिमी होती है, जो सीज़न की करीबन 1/3 बरसात का हिस्सा होता है। यह माह जुलाई के बराबर है। दोनों माह  मिलकर मौसमी बरसात का दो-तिहाई योगदान रहता है।


आपको बता दें, जून में बढ़ी बारिश की कमी को बाद की तिथि में पूरा करना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि, ये अभी शुरुआती दिन हैं लेकिन मानसून की सुस्त शुरुआत के लिए कुछ कारण हैं। जैसे, खाड़ी में कोई मानसूनी प्रणाली नहीं बनी है। वर्तमान में मार्तबान की खाड़ी और उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, लेकिन इससे कोई निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना नहीं है। यह प्रणाली भारतीय तट से दूर रहेगी और पश्चिमी तट पर मानसूनी गतिविधियों को मजबूत नहीं करेगी। इस प्रणाली के कारण अगले सप्ताह उत्तर-पूर्व भारत में बारिश हो सकती है। केरल में मानसून की सक्रियता को बढ़ाने के लिए जल्द से जल्द निम्न दबाव या अवसाद का बनना जरूरी है।

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कमजोर क्रॉस भूमध्य रेखीय प्रवाह:
 उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर और दक्षिण अरब सागर पर क्रॉस भूमध्य रेखीय प्रवाह कमजोर बना हुआ है। जिस कारण केरल-कर्नाटक तटरेखा के साथ मानसून की पश्चिमी धारा इतनी मजबूत नहीं है कि इस क्षेत्र में समान रूप से मानसूनी बरसात को तेज कर सके।


निचले स्तर की पश्चिमी जेट का अभाव: कमजोर क्रॉस इक्वेटोरियल प्रवाह के कारण श्रीलंका, मालदीव और दक्षिणपूर्व अरब सागर के पास से निम्न स्तर के पश्चिमी जेट गायब है। केरल के पूरे तट और अंदरूनी इलाकों में तेज बारिश के लिए जेट की ताकत निर्णायक कारक है।अरब सागर में अपतटीय भंवर का अभाव: लक्षद्वीप द्वीप समूह और दक्षिण-पूर्व अरब सागर के निकट अरब सागर में कोई अपतटीय भंवर नहीं बना है। केरल के तट के पास उत्तर की ओर बढ़ते हुए एक छोटे पैमाने का भंवर भी अच्छी बारिश ला सकता है। हालांकि, ऐसे घटनाएँ बहुत बार नहीं होती हैं, लेकिन कम बर्षा बाले क्षेत्रों मे बारिश की कमी को पूरा किया जा सकता है।