जोहड़ में लगी हरी केली किसान खेतों में डालकर कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, डीएपी व यूरिया की नहीं रहेगी जरूरत
mahendra india news, new delhi
किसान खेतों में अधिक पैदावार लेने के लिए रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है। इसी के साथ साथ इससे पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है। हालांकि कई जागरूक किसान हरी खाद फसलों में ढैंचा, सनई, लोबिया, ग्वार, उड़द और मूंग की फसल डालते हैं। बिना सड़ा हुआ पौधों का वह भाग जिसे हम मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करते हैं। उसे हरी खाद कहते हैं।
आज आपको फ्री की खाद के बारे में हरी खाद जैविक के बारे में बता रहे हैं। वह है जोहड़ में उगी हुई हरी केली। जी हां इसको खेतों में मिलाकर उपजाऊ शक्ति बढ़ा रहे हैं। हरी खाद जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका मकसद वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में फिक्स करना और मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ यानी स्वायल ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाना है।
रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल के कारण दिन प्रतिदिन मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचान रहा है। आपको बता दें कि मिट्टी में कुल 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। हरी खाद इन सभी तत्वों की आपूर्ति करने में मदद करती है। बल्कि मिट्टी में हार्मोन तथा विटामिन की मात्रा भी बढ़ाती है।
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मिल रहा है फायदा
सिरसा जिले के गांव कंगनपुर निवासी किसान जगतार सिंह, हरमेल सिंह, सुरेंद्र सिंह ने बताया कि जोहड़ से केली खेतों में डालने से काफी फायदा मिल रहा है। केली को जोहड़ से निकाल खेतों डालने से डीएपी व यूरिया खाद डालने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसको टै्रक्टर से मिट्टी में मिला देते हैं। फ्री की खाद से हजारों रुपये का फायदा मिल रहा है।
ये करें
केली की बुवाई कर मिट्टी में मिलाए
मिट्टी में इसे अच्छे से दबा देना चाहिए