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सिरसा में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अंतर्राज्यीय कवयित्री सम्मेलन आयोजित : बेटियों की सुरक्षा तभी, जब बेटों को भी संस्कारित करें: डा. दीप्ति धर्माणी

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Inter-state women poets conference organized on International Women's Day in Sirsa: Daughters can be protected only when sons are also cultured: Dr. Deepti Dharmani
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के सहयोग से हरियाणा लेखिका मंच, सिरसा द्वारा श्री युवक साहित्य सिरसा के सदन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में कवयित्री सम्मेलन, लोकार्पण एवं स मान समारोह का आयोजन किया गया। 

Inter-state women poets conference organized on International Women's Day in Sirsa: Daughters can be protected only when sons are also cultured: Dr. Deepti Dharmani


शिखा चौधरी द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तत्पश्चात हरियाणा लेखिका मंच की प्रधान डा. शील कौशिक ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा संस्था का परिचय दिया। इस अवसर पर प्रो. दीप्ति धर्माणी कुलपति, बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। 

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इस दौरान मुख्य अतिथि ने कहा कि लड़कियों की सुरक्षा करते-करते हम बेटों की सही परवरिश करना भूल गए हैं। जब तक लड़कों को संस्कारित नहीं किया जाएगा, तब तक लड़कियां असुरक्षित हैं। अर्धनारीश्वर की अवधारणा पर उन्होंने कहा कि हम शिवा को पूजते समय शक्ति की पूजा भूल जाते हैं, समाज में पुरुष तत्व भारी है। महिलाओं को पुरुषों से होड़ की आवश्यकता नहीं, अपने अंदर अंतर्निहित शक्तियों को जागृत करें और पूरी क्षमता से आगे बढ़ें। महिलाएं प्रश्न करें, स्वयं को अभिव्यक्त करें। किसी भी सफल नारी के पीछे पुरुष और सफल पुरुष के पीछे नारी का हाथ होता है, इसलिए परस्पर संतुलन आवश्यक है। 

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हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (हिंदी में हरियाणवी प्रकोष्ठ) के निदेशक डा. धर्मदेव विद्यार्थी ने अपने संबोधन में कहा कि कोई दिवस ऐसा नहीं, जो महिलाओं को समर्पित न हो। उनके बिना कोई कार्य संपन्न नहीं होताए इसलिए हर क्षण हर दिवस उनका है। सरकार महिलाओं को रूढ़िवादिता के विरुद्ध हर तरह से जागृत करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने प्रकाश डाला कि कितने कमाल की बात है कि हरियाणा के होते हुए भी हमें हरियाणवी बोलने में शर्म आती है, जबकि पाकिस्तान के अ तर मिर्जा ने बताया कि पाकिस्तान में हरियाणवी को संवैधानिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है और वहां के राष्ट्रीय चैनल पर एक घंटे का दैनिक कार्यक्रम प्रसारित होता है। लगभग दो करोड़ लोग वहां हरियाणवी भाषा बोलते हैं। इस अवसर पर चार पुस्तकों तथा शिखा चौधरी की एल्बम उड़ने दो मुझे का लोकार्पण हुआ। वह नीला तारा उपन्यास (डा. मेघा शर्मा), जिसकी समीक्षा हरभगवान चावला ने प्रस्तुत की। हमारी लाडो, हमारा गौरव, (संपादक डा. शील कौशि) की समीक्षा डा. शन्नो गर्ग ने प्रस्तुत की। कुदरत बोल रही है, (संपादक डा. शील कौशिक व डा. मेजर शक्तिराज) तथा जीवन पथ के हम बंजारे गीत संग्रह (प्रवीण पारीक अंशु)। सफल मंच संचालन डा. आरती बंसल ने किया। 

फरीदाबाद से पधारी कवयित्री सुदर्शन रत्नाकर, डा. अंजु दुआ जैमिनी, आशमा कौल, चरखी दादरी से सुवि यात कवयित्री पुष्प लता आर्य, सिरसा से रीतिका यदुवंशी के अतिरिक्त अनय स्थानीय कवयित्रियों ने भी अपनी कविताएं पढ़ी। इस अवसर पर अंजू डुमरा को प्रमुख समाजसेवी के रूप में तथा रुझान चौधरी को अंग्रेजी व हिंदी की प्रतिभाशाली व उम्र में सबसे छोटी साहित्यकार के रूप में सम्मानित किया। इस आयोजन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर शहर के प्रमुख वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजकुमार निजात, ज्ञानप्रकाश पीयूष, जनकराज शर्मा, हरीश सेठी झिलमिल, सुरेश बरनवाल, विशाल वत्स, लाज पुष्प, सुरजीत सिंह शिरड़ी, प्रेम शर्मा तथा एडवोकेट सुरेश शर्मा, सुभाषचंद्र शर्मा, गंगाधर वर्मा, मनफूल वर्मा, मदनलाल वर्मा सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे।