धान की बढ़वार बढ़ाने के लिए खेत में डाल रहे हैं यूरिया, तो आज ही हो जाएं सावधान, एक्सपर्ट ने दी ये जानकारी
खरीफ की फसल में किसानों ने धान की रोपाई की हुई है। मानसून की बरसात से धान की फसल को फायदा भी मिल रहा है। कई किसान अक्सर देखने में आया है कि धान की खेती में यूरिया का प्रयोग आमतौर पर फसल की बढ़ोतरी और उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इसका गलत तरीके से या अधिक मात्रा में उपयोग करने से फसल को नुकसान भी हो सकता है।
इसके लिए किसानों को यूरिया का सही मात्रा और वक्त पर उपयोग करना चाहिए ताकि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार के अनुसार, धान की फसल के लिए यूरिया का उपयोग करते वक्त सबसे विशेष महत्वपूर्ण बात है कि इसे सही मात्रा में और सही वक्त पर इस्तेमाल किया जाए. धान की फसल में यूरिया का प्रथम बार उपयोग तब करें जब पौधे में 3-4 पत्तियां निकल चुकी हो। उन्होंने बताया कि इस वक्तपर यूरिया की हल्की मात्रा पौधे को आवश्यक पोषण देती है, जिससे उसकी वृद्धि बेहतर होती है।
क्या है ज्यादा यूरिया के नुकसान
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादा मात्रा में यूरिया डालने से धान की फसल में नुकसान हो सकता है। यूरिया का अधिक उपयोग पौधे की पत्तियों को कमजोर कर सकता है। इससे फसल का विकास रुक सकता है। इसके अलावा, अधिक यूरिया डालने से मिट्टी की उर्वरता भी कम हो जाती है, इससे लंबे वक्त तक फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
सही मात्रा में करें यूरिया का उपयोग
उन्होंने बताया कि यूरिया का अधिक प्रयोग भूमि की उपजाऊ शक्तिको भी प्रभावित करता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान है। किसानों को बता दें कि एक हेक्टेयर भूमि के लिए धान की फसल में करीब 100-120 किलोग्राम यूरिया पर्याप्त होती है, इसे 2 बार में विभाजित करके डालें. पहली बार जब पौधे में 3-4 पत्तियां हो और दूसरी बार जब पौधे में बूटिंग स्टेज हो यानी बाली निकलने की प्रक्रिया शुरू हो, इस वक्त पर यूरिया का उपयोग फसल की बेहतर वृद्धि और उत्पादन में सहायक होता है।