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बप्पा स्कूल के छात्रों ने कला, संगीत, नृत्य और चित्रकला के माध्यम से निखारी अपनी प्रतिभाएं

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Bappa School students honed their talents through art, music, dance and painting
mahendra india news, new delhi

सिरसा जिला के गांव बप्पा स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, बप्पा भारतीय भाषा समर कैंप के अंतर्गत परिसर में तीसरे दिन का आयोजन कला, संगीत, नृत्य एवं चित्रकला की विभिन्न विधाओं को समर्पित रहा। इस अवसर पर विद्यार्थियों को इन कलात्मक क्षेत्रों में अपनी छिपी प्रतिभाओं को पहचानने और निखारने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 
कार्यक्रम की शुरुआत ध्यान (मेडिटेशन) सत्र से हुई, जिससे विद्यार्थियों ने मानसिक एकाग्रता और ऊर्जा का अनुभव किया। इसके पश्चात छात्रों ने कल आयोजित गतिविधियों के अनुभव साझा किए, जिससे उनमें आत्म-विश्लेषण की भावना विकसित हुई।मुख्य आकर्षण के रूप में चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने सामाजिक विषयों और प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास पर उकेर कर अपने रचनात्मक दृष्टिकोण को दर्शाया। साथ ही, नृत्य कला के माध्यम से छात्रों ने कत्थक, भांगड़ा और अन्य पारंपरिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन कर सांस्कृतिक समरसता और उत्साह का परिचय दिया।विद्यालय के प्रधानाचार्य  शुभकरण शर्मा ने इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, "कला, संगीत, नृत्य और चित्रकला जैसी विधाएं न केवल हमारे जीवन को सुंदर बनाती हैं, बल्कि आत्मविश्वास, अनुशासन और सृजनात्मकता का भी विकास करती हैं। इन विधाओं के अभ्यास से विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं।"

समर कैंप के संचालक  नरेश कुमार ग्रोवर ने बच्चों को चित्रकला, संगीत एवं नृत्य की बारीकियाँ सिखाने में विशेष योगदान दिया। उन्होंने बताया कि इस कैंप के माध्यम से बच्चों में आत्म-अभिव्यक्ति की कला को जाग्रत किया जा रहा है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।
इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षकगण प्रदीप कुमार,  सुखविंदर सिंह,  रोहित कुमार,  सरोज रानी,  रचना मेहता तथा श्रीमती पायल मेहता ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया।विद्यार्थियों ने अपने भाव प्रकट करते हुए कहा कि इस समर कैंप ने उन्हें अपनी छिपी हुई प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें मंच पर लाने का अनूठा अवसर प्रदान किया है। यह आयोजन न केवल विद्यार्थियों के लिए एक रचनात्मक मंच सिद्ध हुआ, बल्कि विद्यालय के समग्र शैक्षिक एवं सांस्कृतिक वातावरण को भी सशक्त करने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम रहा।