सीडीएलयू सिरसा में संस्कृत भाषा कार्यशाला: परंपरा और नवाचार का संगम
Sanskrit Language Workshop at CDLU Sirsa: A Confluence of Tradition and Innovation

हरियाणा के सिरसा में स्थित चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (सीडीएलयू) के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय भाषा कार्यशाला के दूसरे दिन विभाग के प्रध्यापक एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ राकेश के मार्गदर्शन में कार्यशाला में मुख्य शिक्षक के रूप में नवीन कौशल जी ने प्रतिभगियों को ट्रेनिंग दी ।
उन्होंने अभिनव शिक्षण विधियों का उपयोग करते हुए खेल-खेल में संस्कृत सिखाने की तकनीक अपनाई, जिससे प्रतिभागियों का उत्साह और रुचि बढ़ी। उनकी अनूठी शिक्षण शैली ने छात्रों को प्रेरित किया और संस्कृत को सीखना अधिक सरल और आनंददायक बना दिया। कार्यशाला के दौरान संस्कृत व्याकरण, साहित्य और संवाद कौशल पर विशेष ध्यान दिया गया।
दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुई। फैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंस के डीन प्रो. सत्यवान दलाल ने संस्कृत को अनुशासन और चरित्र निर्माण का प्रतीक मानते हुए इसके अध्ययन के लाभों पर चर्चा की।उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और ओवरऑल डेवलपमेंट के लिए शिक्षा को रामबाण बताया। दैनिक दिनचर्या में संस्कृत उपयोग के महत्व बारे उन्होंने चर्चा की ।
इस से पूर्व मास कम्युनिकेशन विभाग के फैकल्टी मेंबर डॉ. अमित सांगवान ने संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल एक भाषा ही नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की संवाहक भी है। उन्होंने संस्कृत को जीवन के लक्ष्यों का मूल आधार बताते हुए इसके अध्ययन को आवश्यक करार दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई के दिशा निर्देशन में इस तरह की कार्यशालाए अथवा विस्तार व्याख्यानों का आयोजन लगभग सभी विभागों में हो रहा है ताकि युवाओं की एनर्जी को चैनलइज किया जा सके। उन्होंने कहा की इस प्रकार के कार्यक्रम संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखा जा सकता है। विभाग के चेयरमैन डॉ रवींदर ने द्वितीय दिवस के समापन पर सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कार्यशाला की सफलता के लिए सभी के सहयोग की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।