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सिरसा के चांद माही का बिना ऑक्सीजन दुनियां की सबसे ऊंची चोटी को फतेह करने का है सपना

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 सिरसा के चांद माही का बिना ऑक्सीजन दुनियां की सबसे ऊंची चोटी को फतेह करने का है सपना
mahendra india news, new delhi

हरियाणा में सिरसा जिले ऐलनाबाद निवासी पर्वतारोही चांद माही उर्फ हुकम चंद अब तक भारत में 9 माऊंनटेन व भारत से बाहर अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माऊंट किलीमंजरो व यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एल्ब्रश पर बिना ऑक्सीजन चढ़ाई कर चुके हंै। उनका सपना है कि वो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट को भी बिना ऑक्सीजन फतेह कर अपना व अभिभावकों का नाम देश व विश्व के पटल पर चमकाने का है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए चांद माही ने बताया कि उसके परिवार में 6 बहन-भाई व माता-पिता हंै। माता-पिता मजदूरी करते है, लेकिन बावजूद इसके उसे 12वीं तक पढ़ाया। उन्होंने माऊंटेन के बारे में सुना था, फिर उसके प्रति ऐसा जुनून चढ़ा कि दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ समाजसेवियों से सहयोग व प्रोत्साहन मिला, मगर आगे के सफर के लिए नाकाफी था। फिर भी वह हार नहीं मानने वाला और अपने सफर को यूं ही अनवरत जारी रखने का प्रयास रहेगा।


स. सुखदेव सिंह ढिल्लों से मिला प्रोत्साहन:
चांद माही ने बताया कि उसने पर्वतारोहियों के बारे में सुना व पढ़ा था। इसके बाद उसने पर्वतारोही की कई गतिविधियों में भाग लिया, लेकिन उसके हुनर की कदर नहीं हुई। त ाी एक इंसान मिले सुखदेव सिंह ढिल्लों, जोकि स्काऊट एंड गाइड के जिला सचिव है, ने उसकी गतिविधियों व हौंसले को देखकर लगातार प्रोत्साहित किया और मदद ाी की, जिसकी बदौलत वह इस मुकाम तक पहुंचा है। हालांकि कुछ समाजसेवियों व संस्थाओं ने भी उसे प्रोत्साहित किया, लेकिन आर्थिक सहयोग न मिलने के कारण उसका सपना अभी अधूरा है।


सरकार व प्रशासन से नहीं मिला आर्थिक सहयोग:
चांद माही उर्फ हुकम चंद ने बताया कि सरकार व प्रशासन से सहयोग मिलता तो वह आज अपना एक अलग ही मुकाम बना लेता। उसने बताया कि जिला उपायुक्त से लेकर सांसद, सीएम तक को इस बाबत पत्राचार से अवगत करवाया गया, लेकिन कहीं से भी सहयोग नहीं मिला, जिसका उसे काफी मलाल है।

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चांदी माही ने बताया कि उसने अभी तक जितने भी पर्वतारोही देखे हंै, वो सभी पर्वतारोही ऑक्सीजन के साथ अपनी मंजिल का सफर शुरू करते हंै, लेकिन उसने जितने भी माऊंनटेन किए हंै, वो स ाी बिना ऑक्सीजन के किए हंै। उसका सपना है कि वह दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट को भी बिना ऑक्सीजन के फतेह करेगा। हालांकि इसमें जान का जोखिम है, लेकिन जुनून व बुलंद हौंसले के आगे ये सब बौना साबित होगा, ऐसा उसे विश्वास है।