सिरसा के श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में नई राष्ट्रीय राष्ट्रीय नीति के तहत चार वर्षीय इंडीग्रेटिड प्रोग्राम हुआ शुरू

हरियाणाा के सिरसा में स्थित श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के संपर्क अभियान के अंतर्गत कॉलेज प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेन्द्र बांसल के नेतृत्व में संपर्क अभियान चलाया, जिसमें अलग-अलग तीन टीमें बनाई गई।
एक टीम एडवोकेट सुरेन्द्र बांसल व बजरंग पारिक महाप्रबंधक सभा ने विभिन्न गांवों के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के बारहवीं कक्षा के छात्र व छात्राओं से मिलकर संस्कृत महाविद्यालय के बारे में विस्तार से चर्चा की। 12वीं के बाद शास्त्री में शिक्षित होकर अपना जीवन तथा ाविष्य उज्जवल बनाएं।
इसके लिए उन्होंने संस्कृत महाविद्यालय में दाखिले के लिए प्रेरित किया। पहली टीम ने गांव नथोर, म मड़खेड़ा, ारिया, बणी, जोधपुरिया गांवों में जाकर बच्चों को दाखिले के लिए प्रेरित किया। दूसरी टीम प्राचार्य गणेश शंकर व आजाद शास्त्री के नेतृत्व में विभिन्न गांवों चौटाला, गोरीवाला, बिज्जुवाली, रिसालिया खेड़ा, केहरवाला गांवों के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों से स पर्क करके बारहवीं के बाद शास्त्री में दाखिला लेने हेतु आह्वान किया। तीसरी टीम विक्रम आचार्य व गौतम आचार्य के साथ मिलकर रूपावास, जमाल, गुडिया खेड़ा गांवों के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के बारहवीं के छात्रों व छात्राओं से मिलकर श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के बारे में जानकारी दी व शास्त्री प्रथम वर्ष में दाखिले हेतू प्रेरित किया।
प्रबंधक बजरंग पारीक ने बताया कि अबतक तीनों टीमों द्वारा कुल 65 गांवों के स्कूलों में निजी व सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों से स पर्क किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि ये सिरसा जिला का एक मात्र संस्कृत महाविद्यालय है, जिसका संचालन श्री सनातन धर्म सभा द्वारा किया जाता है। इस कॉलेज में चौधरी देवी लाल विश्व विद्यालय के नियम लागू रहते हैं व इस वर्ष नई राष्ट्रीय राष्ट्रीय नीति के तहत चार वर्षीय इंडीग्रेटिड प्रोग्राम शुरू हो चुका है, जोकि सेमेस्टर सिस्टम पर आधारित है, जिससे भविष्य में बीएड करने वाले विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा। फीस नाम मात्र शुल्क है। सभी प्रकार की छात्रवृति सभी बच्चों को मिलती है। विद्यार्थियों को पुस्तकें व स्टेशनरी का सामान भी महाविद्यालय से दिया जाता है। जरूरतमंद बच्चे को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। महाविद्यालय का परिणाम भी शत-प्रतिशत रहता है। महाविद्यालय में संस्कार अनुशासन व चरित्र का भी विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। सरकारी सेवा में भी संस्कृत पढ़ने वालों का भविष्य उज्जवल है।