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मौसम में अधिक नमी बढ़ने से ग्वार फसल पर बीमारियों तथा कीटों का प्रकोप बढ़ा: Dr. BD Yadav

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  मौसम में अधिक नमी बढ़ने से ग्वार फसल पर बीमारियों तथा कीटों का प्रकोप बढ़ा: डा. बीडी यादव
mahendra india news, new delhi

SIRSA जिले में ओंढ़ा के गांव मलिकपुरा में ग्वार फसल पर स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर में किसानों को जागरूक किया गया। यह प्रोग्राम ओंढ़ा खण्ड के ATM डॉ. पवन यादव तथा इसकी अध्यक्ष्ता BTM डॉ. विक्रम जाखड़ ने की। गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य किसानों को ग्वार की मुख्य बीमारी के लक्षण व उनकी रोकथाम के बारें में जानकारी दी गई। 


चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के रिटायर्ड ग्वार विशेषज्ञ डॉ. B.D यादव ने बताया कि हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से मौसम में अधिक नमी बढनें से ग्वार फसल पर सफेद मक्खी, हरा तेला तथा जीवाणु अंगमारी रोग का प्रकोप भी काफी बढ़ गया है। जानकारी के अभाव में किसान बैगर सिफारिश दवाईयों का इस्तेमाल करते हैं और उससे फसल में नुकसान होने का डर रहता है। इसलिए किसानों को कीटों व बीमारियों को ठीक से पहचान कर आवश्यकतानुसार दवाओं का उचित चयन करके प्रयोग करना चाहिए। ग्वार फसल में कीटों व फंगस की बीमारियों के उपाय के बारे में कृषि विज्ञानिकों व कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर दवाई खरीदें।

बीमारी को कैसे पहचानें:
कार्यक्रम में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. B D यादव ने बताया कि जीवांणु अंगमारी रोग की शुरूआती अवस्था में किनारी से पत्तों का पीला होना तथा बाद में धीरे-धीरे पत्तों की किनारी काली हो जाती है, अधिक बारिश होने पर मौसम में ज्यादा नमी बढ़नें से पत्तों का ज्यादात्तर हिस्सा काला हो जाता है। इस तरह की बीमारी की अवस्था आने पर पैदावार को घटाने में सबसे ज्यादा नुकसानदायक है। इस तरह की स्थिति आने से पहले इस बीमारी की रोकथाम बहुत जरूरी है।

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बीमारी की रोकथाम कैसे करें:
किसान जागरूकता कार्यक्रम में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. B D. यादव ने जीवांणु अंगमारी व फंगस रोग की रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लिटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें अगर इन बीमारियों के साथ हरा तेला व सफेद कीड़ों का प्रकोप हो तो उसकी रोकथाम के लिए 200 M.L. मैलाथियोन-50 ई.सी. या डाइमेथोएट (रोगोर) 30 E.C. प्रति एकड़ उपरोक्त घोल में मिलाकर पहला छिड़काव बिजाई के 40-45 दिन पर तथा अगला स्प्रे इसके 12-15 दिन अन्तराल पर करें। इसके नियंत्रण के लिए उचित दवाईयों के नाम व उसकी मात्रा और सही घोल बनायें के बारे में अवगत करवाया।  


दवा खरीदते समय किसान इन बातों का रखे ध्यान:
ग्वार फसल की ट्रेनिग में बोलते हुए डॉ. पवन यादव ने किसानों से आग्रह किया कि दवाई खरीदते समय दवा विक्रेता से पक्का बिल अवश्य लें तथा बिल पर बैच न बर अवश्य लिखवाएं। इसके अलावा बोतल पर दवा की समाप्ति तिथि देखकर ही दवा खरीदें। इस अवसर पर शिविर में मौजूद 83 किसानों को सै पल के तौर पर 5-5 स्ट्रैप्टोसाईक्लिन के पाऊच एक एकड़ के लिए एक स्प्रे तथा स्प्रे के नुकसान से बचने के लिए हर किसान को हिन्दुस्तान गम् एण्ड कैमिकल्स भिवानी की तरफ  से मास्क भी दिए गये। इस अवसर पर गांव के सरपंच इकबाल सिंह तथा न बरदार राम प्रताप का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर सेवानिवृत कृषि अधिकारी DR. सुभाष गोदारा विशेष तौर पर आमन्त्रित थे। इसके अलावा जगदेव सिंह, बग्गर सिंह, गुलजार सिंह, राजेश कुमार, धनराज, बलराज सिंह, लाल चन्द, प्रवीन कुमार आदि किसान मौजूद थे।