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इस तरीके से खेती कर महिला किसान ने बदली अपनी किस्मत, सिरसा की बहू प्रियंका बनी किसानों के लिए रोल मॉडल

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 इस तरीके से खेती कर महिला किसान ने बदली अपनी किस्मत, सिरसा की बहू प्रियंका बनी किसानों के लिए रोल मॉडल

Haryana News : महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है। इसी कड़ी में हरियाणा में सिरसा जिले के गांव चक्कां निवासी प्रियंका धर्मपत्नी इन्द्रसेन बरावड़ ने कुछ अलग तरीके से खेती कर किश्मत बदली है। 

बता दें कि प्रियंका एक साधारण व मध्यम वर्गीय परिवार से है, जो अपने पति इन्द्रसेन के साथ लंबे वक्त से परंरागत खेती करती आ रही थी। खेती से हर बार आमदनी अच्छी नहीं हो रही थी। इससे परिवार के लोगों में हमेशा चिंता रहती थी।  

हर वर्ष कम बरसात और भूमिगत लवणीय पानी के चलते नरमा, कपास व ग्वार जैसी खेती से केवल जिंदगी की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति ही बड़ी मुश्किल से हो पा रही थीे। 

इसी के साथ ही परिवार पर कर्ज पर कर्ज चढ़ता जा रहा था। इससे परेशान होकर प्रियंका ने पति इंद्रसेन की सहमति से परम्परागत खेती छोड़कर सब्जी उगाने की ठानी। इसके बाद मौजूदा समय में प्रियंका मात्र एक एकड़ में ऑर्गेनिक सब्जी लगाकर नरमा व कपास से ज्यादा मुनाफा कमा रहा है। 

प्रियंका ने बताया कि गांव के समीप ही उनके पास मात्र एक एकड़ जमीन है, जो पूर्णत: रेतीला टीला है, जहां पर भूमिगत पानी भी खारा व लवणीय है। उन्होंने बताया कि पहले वर्ष केवल भिंडी व कक्कड़ी की खेती की, जिससे तीन माह में 50 हजार रूपयों की बचत हो गई।

बहुत की कम समय में अच्छा मुनाफा देखकर हौसला बढ़ गया और इस बार उन्होंने मिर्च, भिंडी, टिंडा, कक्कड़ी, लोकी, तोरी व बंगा और अन्य सब्जी लगाई हुई है, इनकी पैदावार शुरू हो चुकी है।

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प्रियंका का मानना है कि अगर इस बार मौसम ने साथ दिया तो उन्हें मात्र छह माहं ही करीब सवा से डेढ़ लाख रूपये तक की पैदावार हो जाएगी। हालांकि नई खेती का अनुभव ना होने के चलते उन्हें थोड़ी परेशानी आ रही है। 

उन्होंने ये भी बताया कि सब्जियों में लगने वाली बीमारियों, पौधों की बढ़वार व पैदावार और देखरेख के तरीकों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। अगर वक्त रहते सही उपाय ना किया जाए तो बड़ा नुकसान का सामना भी करना पड़ता है।

गांव चक्का निवासी इन्द्रसेन ने बताया कि वे कृषि विभाग रानियां से वक्त वक्त पर ऑर्गेनिक खेती की बढ़वार, उत्पादन, देखरेख, बोने व तोड़ने के नए तरीकों, वक्तपरिवर्तन के साथ पड़ने वाली मौसमी बीमारियों व उनके रोकथाम के लिए समय समय पर जानकारी लेते रहते हैं। 

उन्होंने ये भी बताया कि सब्जियों में गोबर, गोमूत्र, नीम की पत्तियां, छाछ, हल्दी, गुड़ इत्यादि का मिश्रण बनाकर समय-समय पर छिड़काव करता है। जिससे सभी सब्जियां शुद्ध ऑर्गेनिक व विषमुक्त होती हैं।

ऑर्गेनिक होने के कारण सब्जी थोड़ी महंगी जरूर है, लेकिन अधिकतर लोग सब्जियां खेत से ही लेकर जाते हैं। जिसके लिए अधिक पैसा व मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। कई बार सब्जी की लागत कम व पैदावार अच्छी होने पर उन्हें रानियां, जीवन नगर, ऐलनाबाद या सिरसा सब्जी मंडी में बेचनी पड़ती हंै। इससे समय, मेहनत व यातायात खर्च बढ़ जाता है।