अमेरिका की गलियों से लेकर भारत के कोर्ट तक रैकेटबॉल एक नया इतिहास रचते हुए हरियाणा में अपनी पहचान बना रहा है

राष्ट्रीयध्यक्ष नंद सिंह कौड़ी ने बताया कि अमेरिका की गलियों से लेकर भारत के कोर्ट तक रैकेटबॉल एक नया इतिहास रचते हुए सिरसा, हरियाणा में अपनी पहचान बना रहा है। कौड़ी ने बताया कि रैकेटबॉल की खोज 1950 में जोसेफ सोबेक ने की थी, जो एक अमेरिकी प्रोफेशनल हैंडबॉल और टेनिस खिलाड़ी थे। उन्होंने एक ऐसा खेल बनाना चाहा जो तेज, मनोरंजक और शारीरिक रूप से कम थकाने वाला हो। इस खेल में स्क्वैश और हैंडबॉल के तत्वों को मिलाकर इसे बनाया गया। आज यह खेल खासकर अमेरिका, लैटिन अमेरिका और अब भारत में लोकप्रियता हासिल कर रहा है। रैकेटबॉल अब एक पेशेवर और शौकिया खेल बन चुका है।
वैश्विक स्तर पर इन संगठनों का है समर्थन प्राप्त:
इंटरनेशनल रैकेटबॉल फेडरेशन विश्व स्तर पर खेल का संचालन करता है और इसे बढ़ावा देता है। एशिया रैकेटबॉल फेडरेशन, एशियाई देशों में रैकेटबॉल को विकसित करता है। इंडियन रैकेटबॉल एसोसिएशन भारत में रैकेटबॉल की प्रमुख संस्था, जो प्रतिभाओं और बुनियादी ढांचे को विकसित कर रही है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत के उत्तर क्षेत्र में पहला रैकेटबॉल कोर्ट अब सिरसा, हरियाणा में बन चुका है,जो इस खेल के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। सिरसा में नैशनल रैकेटबॉल चैंपियनशिप 25 से 27 मार्च तक द माउंट स्कूल सूरतिया, सिरसा (हरियाणा) में चलेगा।
अमेरिका से दो प्रमुख खिलाड़ी भारत आ रहे हैं इस खेल को बढ़ावा देने के लिए:
थॉमस कार्टर, विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 में शामिल पेशेवर रैकेटबॉल खिलाड़ी, जो युवा प्रशिक्षण के लिए समर्पित है। आलोक मेहता 55 आयु वर्ग में शीर्ष 4 शौकिया खिलाड़ी और इंडियन रैकेटबॉल एसोसिएशन के सह-अध्यक्ष हैं। वे इस खेल को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये दोनों खिलाड़ी प्रशिक्षण सत्र, क्लीनिक और टूर्नामेंट का आयोजन करेंगे और सभी उम्र के खिलाड़ियों के साथ अपना अनुभव सांझा करेंगे। थॉमस कार्टर और आलोक मेहता जैसे चैंपियनों के नेतृत्व में भारत में राष्ट्रीध्यक्ष नंद सिंह कौरी, महासचिव सरदार गुरबंत सिंह, डायरेक्टर मीडिया एडवाइजर कश्मीर का बोज, योगेश कालड़ा, महेन्द्र कंबोज के नेतृत्व में रैकेटबॉल का भविष्य उज्जवल है।