वृंदावन और बरसाना जैसी HARYANA के इस गांव में खेली जाती होली, यहां की परंपरा सारे प्रदेश में है फेमस

होली पर्व का हर वर्ष इंतजार रहता है, अब होली पर्व के केवल कुछ ही दिन शेष बचे हैं। रंगों का यह त्योहार 13 मार्च को मनाया जाएगा। इस पर्व के लिए मथुरा-वृंदावन में अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। अगर हरियाणा प्रदेश के अंदर एक ऐसा जिला है, जहां होली से हफ्ते से पहले ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। जी हां हम बात पलवल जिले के बंजारी गांव की बात कर रहे हैं, जहां 300 वर्ष से धूमधाम तरीके से होली खेली जा रही है। यहां की होली इतनी फेमस है कि न केवल आसपास के गांवों से बल्कि अन्य जिलों के व्यक्ति भी इस गांव में पहुंचते हैं। जानिए बंजारी गांव की यह होली इतनी फेमस क्यों है।
आपको बता दें कि हरियाणा का दक्षिणी हिस्सा बृजभूमि की परंपरा को लिए पहचाना जाता है। इस बांगड़ एरिया में होली खेलने का अनूठा अंदाज देखने को मिलेगा है। इस बंजारी गांव में होली का पर्व अनोखे और अलग ढंग से मनाया जाता है। यहां की होली के बारे में कहा जाता है कि कहा जाता है कि यहां की होली वृंदावन और बरसाना की होली से कम नहीं होती है।
हुरियारे और हुरियारिनों की सजती है टोलियां
इस गांव में होली पर हुरियारे और हुरियारिनों गायकों की अलग-अलग टोलियां सजाई जाती हैं। औरतों की टोलियां गलियों में निकलती हैं। कहा जाता है कि यहां पिछले 300 वर्षं से होली गायन, होली नृत्य और पिचकारियों से रंग की बौछारों के साथ-साथ बलदाऊ मंदिर में पूजा की एक परंपरा चली आ रही है। इस गांव की खासियत यह है कि होली खेलने के लिए आने वाले लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था भी ग्रामीणों की ओर से की जाती है।
बरसाना और नंदगांव की लठमार होली
इस बांगड में हाथों में रंगों की जगह कपड़ों को ऐंठकर मोटे रस्से की तरह तैयार की जाती है, जिन्हें कोरड़ा कहा जाता है। इस दिन भाभियां होली खेलने आए देवर को कोरड़े से मारती हैं। हरियाणा प्रदेश के अधिकतर जिलों में कोरड़ा मार होली ही खेली जाती है और देवरों को मार को चुप रहकर बर्दाश्त करना पड़ता है। अपने बचाव के लिए युवक लाठी डंडों का प्रयोग जरूर करते हैं, वे पलटवार नहीं करते, बल्कि बचाव में सिर्फ पानी फेंकते हैं। इसी के साथ ही बाल्टी से महिलाओं की ओर से होने वाले वार को रोकने की भी कोशिश करते हैं।