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मालिक को पाना है तो जीवों से नफरत नहीं प्यार करना पड़ेगा : संत बीरेन्द्र सिंह जी

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If you want to find your master, you will have to love the living beings and not hate them: Saint Birendra Singh Ji
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा में जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बिलोचिस्तानी आश्रम के संत बीरेन्द्र सिंह ने फ़रमाया कि यह संतों की खासियत और खूबसूरती होती है कि वह अपने आपको दीनता के साथ जीरो पर रखते हैं। जबकि कुछ को तो सत्संग में आते 15-15, 20-20 साल हो गए, अभी तक अपने अंदर दीनता नहीं आई बल्कि अहंकार से भरे पड़े हैं। संत बीरेन्द्र सिंह जी ने यह वचन पूज्य संत बहादुर चंद वकील साहिब जी के जन्मदिवस पर आयोजित सत्संग में फ़रमाया है। मंगलवार को डेरा जगमालवाली में सत्संग का आयोजन किया गया था जहाँ बड़ी संख्या में साध संगत जुडी। साध संगत में पूज्य वकील साहिब जी के जन्मदिवस का इतना जोश दिखा कि साध संगत ढोल नगाड़ों के साथ नाचती गाती हुई डेरे में पहुंची। 
संत बीरेन्द्र सिंह जी ने कहा कि हम छोटी छोटी बातों के अन्दर नुख्श निकालना शुरू कर देते है, उनकी जिंदगी से उनके जीवन से सीखते नहीं है। 
हमने एक दूसरे से प्रेम ही करना है।सत्संगी होने का फायदा उठाना है। निंदा, चुगली, बुराई नहीं
करनी। संत बीरेन्द्र जी ने कहा कि आज पूज्य महाराज वकील साहिब जी का जन्मदिन है। उनकी
जिंदगी से उनके जीवन से हमें सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने तपस्या की है। संत बीरेन्द्र सिंह जी ने कहा कि अंदर जो  मन बैठा है इसके ऊपर विजय प्राप्त करनी है यह तब हो पायेगा जब अपने आप को जीरो पर रखोगे। जब अपने आप को महा अज्ञानी समझोगे। तलवार से तुम दुनिया जीत सकते हो मन नहीं संत बीरेन्द्र सिंह जी ने फ़रमाया कि एक दिन महात्मा बुद्ध का भाई महात्मा बुद्ध से मिलने के लिए आया महात्मा बुद्ध को कया इतने समय में इतने टाइम में तूने क्या
कमाया, क्या जीता है, क्या पाया है ?  महात्मा बुद्ध ने कहा कि मैंने शांति को
पाया है। मैंने आनंद को पाया है, मैंने ठहराव को पाया है। महात्मा बुद्ध का भाई कहने लगा कि शांति की बात तो वह करता है जो तलवार नहीं उठा सकता। महात्मा बुद्ध ने कहा कि तलवार से तुम दुनिया जीत सकते हो दुनिया के ऊपर राज
कर सकते हो पर मन को नहीं जीत सकते। अगर मन को जीतना है तो सब कुछ छोड़ना
पड़ेगा।  महात्मा बुद्ध का भाई कहने लगा कि तू क्या जीत के आया है ?
महात्मा बुद्ध कहने लगा कि मैं जीतने के लिए नहीं गया था। मैं तो हारने के लिए गया था। मैं हार के आया हूं । मैं हार के आया हूं काम को, क्रोध को, लोभ को, मोह को, अहंकार को, निंदा चुगली को, नफरत को इन चीजों को मैं हार के आया हूं ैं।  मैं तो जीतने गया ही नहीं था जो दुनिया के अंदर जीतना नहीं चाहता उसको दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकती। सत्संग में फ़रमाया कि हम तो सारे जीतना चाहते हैं। अपने आप को लोगों के आगे दिखाना चाहते हैं, कुछ न कुछ बनना चाहते हैं जब तुम अपने आप को कुछ भी सब कुछ मानोगे तो सारे झगड़े पैदा हो जाते हैं। अगर मालिक को प्राप्त करना है मालिक के साथ जुड़ना है तो मालिक के जीवों से प्यार करना पड़ेगा अगर मालिक के जीवों से नफरत करते हो तो दोनों जहाँ के मालिक को न हीं पा  सकते।