Akshay Tritiya: अक्षय तृतीया के दिन इस समय शुभ मुहूर्त, अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व

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अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व होने का कारण इस दिन इंतजार रहा है। इस वर्ष अक्षय तृतीय पर शुभ मुहूर्त को लेकर आपको जानकारी दे रहे हैं।  अक्षय तृतीया के त्योहार को आखा तीज के नाम से भी जानते है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। 


ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यता के मुताबिक अक्षय तृतीया के अवसर पर सभी कामों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सोना और चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन विशेष चीजों का दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया 2025 डेट और शुभ मुहूर्त वैदिक पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तिथि समाप्त होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में इस बार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया के दिन पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय साधक पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

अक्षय तृतीय ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 58 मिनट तक

अक्षय तृतीया पर अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं

अक्षय तृतीया पर विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग - पूरे दिन

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 16 मिनट तक

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अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व 
ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया के शुभ मौके पर दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता के मुताबिक, इस दिन दान करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। इसी साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। पौराणिक कथा के मुताबिक, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया से सतयुग की शुरुआत हुई थी। मान्यता है कि अक्षय तृतीया से ही वेद व्यास जी ने महाभारत को लिखने की शुरुआत की थी।

इसी अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम माने जाते हैं। भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और राजकुमारी रेणुका के पुत्र थे। अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती का त्योहार भी मनाया जाता है।