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Nice talk: विपसना एवम् प्राणायाम में बहुत अंतर है अगर युवा क्रोध तथा अधीरता पर नियंत्रण चाहते है तो विपसना करे

युवाओं, देश आपकी ऊर्जा को निहार रहा है
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युवाओं, देश आपकी ऊर्जा को निहार रहा है

mahendra india news, new delhi
युवा दोस्तो मैं आज ऐसे विषय को लेकर अपना लेख लिखना चाहता हूं जो वर्तमान के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि आजकल युवाओं में क्रोध और अधर्य बढ़ता ही जा रहा है। कोई भी चाहे वो बच्चा हो, चाहे किशोरावस्था में हो या युवावस्था में हो , पेशेंस नही है किसी में, धीरज नही है। जो इंसान चाहे वो किसी भी आयु से हो, कैसी भी आर्थिक स्थिति में हो परंतु मातापिता को ऐसे झिडक़ते है जैसे उन्हे मान सम्मान का ज्ञान ही ना हो। हर चीज आजकल के नौजवानों को तुरंत चाहिए, छोटी छोटी बातो पर क्रोधित होने लगते है, उनमें धीरज तो ऐसे लगता है जैसे बिलकुल ही नही है। जैसे दूध उफनता है ऐसे उफनते है आजकल के बच्चे , किशोर तथा युवा, सारी सीमाएं लांघ देते है। 

अरे कैसे कैसे आपके माता पिता आपको पालते है, कैसे तुम्हे पढ़ाते है, कैसे कैसे तुम्हारे लिए अच्छा भोजन , घी , दूध का प्रबंधन करते है, कैसे अपनी सभी इच्छाओं का दमन कर तुम्हे तकलीफ नहीं होने देते, क्या कभी शांत बैठ कर विचार किया उनके बारे में, क्या कभी उनके कपड़े देखे है, क्या कभी उनकी तकलीफ को महसूस किया है, क्या कभी उनकी चाहत को जानने का प्रयास किया है, क्या कभी अपनी मां , पिता या बहन के बारे में सोचा है की उनकी खुशी किस बात में है, क्या कभी अपनी मां को प्रशंसा के दो शब्द कहे कि मां वाह आपने बहुत अच्छा खाना बनाया है ? , क्या कभी अपने पिता की मेहनत को सलाम किया है?, क्या कभी अपनी बहन की आंखों में तुम्हारे लिए प्यार को महसूस किया है ?, अगर नही तो कर के देखो तब पता चलेगा कि माता पिता होते क्या है, उनके दुख दर्द दिखाई देंगे।


 बहन की आखों में झांक कर देखोगे तो कभी किसी दूसरी बहन के साथ बदतमीजी नहीं करोगे। मेरे प्रिय युवाओं, देश आपकी ऊर्जा को निहार रहा है, परंतु उस ऊर्जा का क्या उपयोग जो क्रोध ,अधीरता और काम वासना में बह जाए । क्या तो उस ऊर्जा का तुम्हे लाभ होगा और क्या उस ऊर्जा का राष्ट्र वा समाज को फायदा होगा। दोस्तो मैं आज आपके सामने एक बेहद कारगर एक्सरसाइज रख रहा हूं जो न केवल आपके क्रोध को शांत करेगी बल्कि आप की अधीतरता तथा उतावलेपन से भी निजाद दिलाएगी। यहां मैं विपासना का जिक्र कर रहा हूं जो लगती तो बिल्कुल प्राणायाम की तरह है परंतु है बिलकुल प्राणायाम से भिन्न। 

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प्राणायाम में सांसों को तेज, धीमे, ऊपर, नीचे , गति शील, मध्यम, धीरे किया जाता है और प्राणायाम वैसे भी अलग अलग तरह से किए जाते है, परंतु विपासना सरल, शांत, और जैसा सांस चल रहे है उसे देखना है उसे महसूस करना है, जब हम सांस पर ध्यान लगाते है तो एकाग्रता वा ध्यान घटित होने लगता है जैसे जैसे सांसों पर ध्यान टिकने लगेगा तो युवाओं मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आपका क्रोध विश्लेषण में बदल जाएगा। 

आपको किसी प्रकार का उतावलापन नही होगा। क्रोध पर नियंत्रण ऐसे आएगा जैसे बहुत ही सरल प्रक्रिया हो, कहीं भी बैठ कर सांसों को सरलता से पकड़ सकते हो, कहीं पर भी, बस में घर में, बाहर, पार्क में , किसी का इंतजार करते हुए, दोस्तो एक समय ऐसा भी आएगा कि आपको एहसास होगा कि मेरी जल्दबाजी कहीं खो गई है, मेरा क्रोध कहीं खो गया है और बहुत आसानी से हम किसी भी कठिनाइयों से उभर सकते है और जो ऊर्जा हमारी क्रोध तथा अधीरता में जा रही थी। 

वहीं ऊर्जा अब हमारे चरित्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण, संबंध निर्माण, समाज विकास, प्रकृति संरक्षण में लग रही है, हमारा व्यवहार , हमारे मातापिता के प्रति भाई बहनों के प्रति , देश की अन्य बहनों वा बेटियों के प्रति उत्तरदायित्व पूर्ण बन रहा है, हम लोगो के प्रति स्नेह एवम् प्रेम भाव से सहयोगी बन रहे है, हमारा जीवन भी आनंदमय बन रहा है। मेरे प्रिय युवा भाई बहनों, जीवन एक ऊर्जा का पुंज है जिसे न केवल सही स्थान पर उपयोग करना है बल्कि उचित ध्येय के लिए संरक्षित भी रखना है। ऊर्जा को आद्योगामी नही उर्ध्वगामी करना है तभी हम अपने क्रोध एवम् अधीरता को नियांत्रित कर पाएंगे।
जय हिंद
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी